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Please use this identifier to cite or link to this item: http://localhost:8080/xmlui/handle/123456789/1058
Title: पद्माभरण
Authors: पद्माकर, िव􀄵नाथप्रसाद िमश्र
Issue Date: 1958
Publisher: वाणी-िवतान प्रकाशन, वाराणसी
Abstract: पद्माकर तैलंग ब्राह्मण थे । इतके पूबँपुरुष गोदावरी कै निकट रहा करतें थे । इतके वंश के मूज्ञपुरुप मधुकर मट्ट अत्रिगोत्रीय और तैत्तिरीय शाखा के यजुर्वेद्ळी ब्राह्मण थे । सं० १६१५ में जब महा मांडले में प्रसिद्ध, मद्दारानळी द्रुर्मावती राज करतो थीं तर वूगौपट्टन अथवा मघुपुरळी के श्रोर'ग क्रालेश्यर ते १५७ पंचद्रप्तवेइ दाक्षिणात्य उत्तर की और तीर्थांव्न के विचार से द्याएव्'न् ओर यहाँ आकर घीरे 'घोरे यहीं के यासळी हो गए । इन दास्किणाव्यो’ में से वहुर्तो ने श्रोगोत्वामी क्लि- नाथजो कळा आश्रय ग्नहृण क्रिया । इतके यहाँ बसने पर एक समुदाय कळी दो ,शाखापँ मी हो गईं, जो मथुरय्रथ और गोक्रुखरथ के नाम ते प्रसिद्ध हें । पद्माकर मधुरास्थ शाखा के थे |गी ॰ पद्माकर के पिता मोहृनलाज्ञ मट्ट मध्यप्रदेशांतर्गत सागर में रहृळा करते थे !
URI: http://localhost:8080/xmlui/handle/123456789/1058
Appears in Collections:Dattu Waman Poddar

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